Bangladesh: बांग्लादेश में फंसे 12 हजार भारतीयों पर सरकार की नजर… विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हिंदुओं और शेख़ हसीना को लेकर संसद में क्या कहा?
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आज यानी मंगलवार को बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति पर देश को जानकारी दी है। राज्यसभा और लोकसभा में दिए बयान में विदेश मंत्री ने बांगलादेश के अल्पसंख्यकों, उनके कारोबार और हिन्दू मंदिरों पर लगातार हो रहे हमलों पर चिंता जताई है। विदेश मंत्री एस जयशंकर का यह बयान बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हुए हिंसा के बाद, शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और ढाका से सीधा भारत पहुंचने के एक दिन बाद आया है।
बांग्लादेश में शासन से जुड़े लोगों की संपत्तियों को आग लगाई जा रही है। गंभीर चिंता की बात यह है कि अल्पसंख्यकों, उनके व्यवसायों, मंदिरों और गुरुद्वारों को निशान बनाकर कई इलाकों में उन पर हमला किया गया है। विदेश मंत्री ने कहा कि, भारत सरकार ढाका में अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क साध रही है। हमें उम्मीद है कि, मेजबान सरकार वाहन के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के साथ-साथ बांग्लादेश में भारतीय प्रतिष्ठानों को कोई नुकसान नहीं पहुँचने देगी।
भारत-बांग्लादेश के संबंध में घनिष्ठता
एस जयशंकर ने बांग्लादेश के हाल के घटनाक्रम के बारे में सदन को अवगत कराते हुए कहा कि, भारत-बांग्लादेश संबंध कई दशकों से और कई सरकारों के दौरान मजबूत हुए हैं। भारत स्थिति जल्द सामान्य होने की उम्मीद कर रहा है। विदेश मंत्री ने इसे एक संवेदनशील मुद्दा बताते हुए सदन के सदस्यों से एक महत्वपूर्ण पड़ोसी होने के नाते समर्थन की भी मांग की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि, बांग्लादेश में हाल की हिंसा और अस्थिरता के बारे में सभी राजनीतिक दलों में एक तरह की चिंताएं हैं।
उन्होंने बताया कि, जनवरी 2024 में चुनावों के बाद से बांग्लादेश की राजनीति में बहुत तनाव, गहरे मतभेद और ध्रुवीकरण को बढ़ता देखा गया है। जून महीने में शुरू हुए छात्र आंदोलन को इस अंतर्निहित आधार ने और भी संवेदनशील बना दिया है। विदेश मंत्री ने कहा कि, बांग्लादेश में सार्वजनिक इमारतों और बुनियादी ढांचे पर प्रदर्शनकारी और अराजक तत्वों द्वारा हमलों के अलावा यातायात और रेल परिचालन में अवरोधों सहित जान-लेवा हिंसा बढ़ रही थी। जो कि जुलाई तक जारी रही। इस दौरान हमने वहाँ की सरकार को बार-बार संयम बरतने की सलाह दी और आग्रह किया कि जनता से बातचीत के माध्यम से समस्याओं को सुलझाया जाए।