हरियाणा के हालिया चुनावी परिणाम भारतीय राजनीति में एक गहरी और महत्वपूर्ण घटना के रूप में सामने आए हैं। भाजपा की लगातार तीसरी जीत, केवल एक चुनावी सफलता नहीं है, बल्कि यह संगठनात्मक कौशल, अनुशासन, और संघ की रणनीतिक सक्रियता का नतीजा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की जमीनी मेहनत ने इस चुनाव में भाजपा की विजय की नींव तैयार की, जिसे नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता।
संघ की व्यापक रणनीति और जमीनी पकड़
आरएसएस ने पिछले चार महीनों में हरियाणा में व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाया। 16,000 से अधिक सभाओं के माध्यम से स्वयंसेवकों ने केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों को घर-घर पहुंचाया। न केवल नीति प्रचार किया गया, बल्कि लोगों के साथ सीधा संवाद स्थापित करके उनकी समस्याओं और मुद्दों को सुना गया। जुलाई में संघ और भाजपा नेताओं की महत्वपूर्ण बैठक के बाद, संघ के स्वयंसेवकों ने मैदान में उतरकर अपनी रणनीति को साकार किया। हरियाणा के हर जिले में 150 स्वयंसेवकों की टीमें बनाई गईं, जिन्होंने घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क किया।
मीडिया की शोरगुल से परे जमीनी कार्य
जब कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल मीडिया के मंच पर अपनी आवाज़ें बुलंद कर रहे थे, संघ के स्वयंसेवक बिना किसी प्रचार के जमीनी स्तर पर काम कर रहे थे। उनका उद्देश्य सिर्फ चुनावी प्रचार नहीं था, बल्कि मतदाताओं के साथ विश्वास का संबंध बनाना और उन्हें केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धियों से अवगत कराना था।
हरियाणा के लोगों तक संघ की पहुंच को व्यापक बनाने के लिए 1 से 9 सितंबर के बीच संघ ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 90 से अधिक बैठकें कीं। इन बैठकों में ग्रामीण क्षेत्रों और कस्बों के लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ और विकास कार्यों की जानकारी दी गई। श्रद्धेय मोहन भागवत जी ने भी राज्य में काफी समय बिताया, जिससे संघ के स्वयंसेवकों में जोश और आत्मविश्वास की लहर दौड़ गई। पार्टी कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के बीच 200 से अधिक बैठकों के माध्यम से ग्रामीण जनता से संवाद किया गया, जिससे न केवल संगठन का प्रभाव मजबूत हुआ बल्कि भाजपा का संदेश सीधा और स्पष्ट तरीके से पहुंचा।
कांग्रेस की रणनीतिक भूल
जहां कांग्रेस और उसके सहयोगी हवा-हवाई बयानबाजी और मीडिया में लहर बनाने के प्रयास कर रहे थे, वहीं धरातल पर उनकी पकड़ कमजोर होती जा रही थी। उन्हें इस बात का अहसास नहीं था कि संघ के स्वयंसेवक चुपचाप लोगों से मिल रहे हैं और भाजपा की विजय का आधार तैयार कर रहे हैं। कांग्रेस की सबसे बड़ी गलती थी कि उसने संघ के संगठनात्मक बल और उसकी जमीनी पकड़ को हल्के में लिया। जबकि कांग्रेस नेताओं को यह विश्वास हो चला था कि उनकी सरकार बनने वाली है, संघ के कार्यकर्ता हरियाणा की हर गली, हर गांव में लोगों से जुड़ रहे थे।
8 अक्टूबर: संघ का संघर्ष और भाजपा की हैट्रिक
अंततः, 8 अक्टूबर को चुनाव परिणाम आए और वह दिन संघ की मेहनत और संगठन की विजय का प्रतीक बन गया। हरियाणा की पवित्र धरती, जो कुरुक्षेत्र के ऐतिहासिक महत्व से जुड़ी है, वहां फिर से एक नई लड़ाई लड़ी गई—यह लड़ाई राजनीति की नहीं, बल्कि संगठन की शक्ति की थी। भाजपा ने कांग्रेस को लगातार तीसरी बार हराया, और संघ ने यह साबित किया कि उनकी संघर्षशील रणनीति और अनुशासित कार्य प्रणाली किसी भी राजनीतिक चुनौती का सफलतापूर्वक सामना कर सकती है।
संघे शक्ति युगे-युगे: संघ का अमिट योगदान
इस ऐतिहासिक जीत ने फिर से यह सिद्ध कर दिया कि संगठन की शक्ति, अनुशासन, और निस्वार्थ सेवा किसी भी चुनौती का सामना कर सकती है। संघ के स्वयंसेवकों की निष्ठा और अथक प्रयासों ने भाजपा की जीत सुनिश्चित की। यह एक उदाहरण है कि जब संगठन का हर सदस्य पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ मैदान में उतरता है, तो परिणाम अवश्य सफल होते हैं।