Homeराजनीतिचंद्रशेखर बानकुले की रणनीति ने दिलाई महाराष्ट्र में बीजेपी को विजय

चंद्रशेखर बानकुले की रणनीति ने दिलाई महाराष्ट्र में बीजेपी को विजय

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में बीजेपी की धमाकेदार जीत का श्रेय न केवल पार्टी की कुशल रणनीति को जाता है, बल्कि इस जीत की कहानी में प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले का अहम योगदान भी शामिल है। ओबीसी वर्ग से आने वाले बावनकुले ने न केवल अपनी नेतृत्व क्षमता से कार्यकर्ताओं को प्रेरित किया, बल्कि पांच सूत्रीय रणनीति के साथ जमीनी स्तर पर चुनावी खेल को बदल दिया।

 

पांच सूत्र, एक विजयी मंत्र

 

1. ‘एक है तो सेफ है’

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस नारे ने पूरे चुनाव अभियान को एक सूत्र में पिरो दिया। यह सिर्फ एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि एक भावनात्मक आह्वान था जिसने हिंदुत्व और बीजेपी के समर्थकों को एकजुट किया। यह नारा योगी आदित्यनाथ के “बटेंगे तो कटेंगे” के विचार को विस्तार देता है, जिसे पीएम मोदी ने महाराष्ट्र के हर कोने में पहुंचाया।

 

2. ओबीसी मतों का एकीकरण: चंद्रशेखर बावनकुले की रणनीति

 

चंद्रशेखर बावनकुले ने 2019 में टिकट न मिलने के बावजूद पार्टी से अपनी निष्ठा बनाए रखी। 2023 में प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने ओबीसी समुदाय को पार्टी से जोड़ने के लिए राज्यभर में अनगिनत यात्राएं कीं। ट्रेन से सफर, हज़ारों कार्यकर्ताओं से मुलाकात, और लगातार बैठकों के माध्यम से उन्होंने एक नई ऊर्जा भरी। बावनकुले ने अमित शाह और जेपी नड्डा के साथ तालमेल बैठाकर एक ऐसी रणनीति तैयार की, जिसने 100 से अधिक सीटों पर बीजेपी को निर्णायक बढ़त दिलाई।

 

3. बूथ प्रबंधन की कला

 

महाराष्ट्र में बीजेपी ने अमित शाह की बूथ प्रबंधन रणनीति को नया आयाम दिया। करीब 30,000 बूथों पर, जहाँ पार्टी तीसरे स्थान पर थी, विशेष फोकस किया गया। बावनकुले ने हर कार्यकर्ता को यह लक्ष्य दिया कि वे अपने क्षेत्र में बीजेपी के वोट प्रतिशत को दोगुना करें। इन छोटे लेकिन प्रभावशाली कदमों ने 120 से अधिक विधानसभा सीटों पर जीत सुनिश्चित की।

 

4. सरकार का काम, बीजेपी का नाम

 

महायुति सरकार की ढाई साल की उपलब्धियों को जनता के बीच बीजेपी की पहचान के रूप में प्रस्तुत किया गया। फसल बीमा, कर्ज माफी, और लड़कियों के लिए योजनाओं को बीजेपी के ब्रांड के तहत प्रचारित किया गया। बावनकुले ने सुनिश्चित किया कि यह संदेश हर मतदाता तक पहुँचे।

 

5. संघ और संगठन का तालमेल

 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुख्यालय नागपुर में होने का लाभ उठाकर बावनकुले ने संघ और बीजेपी कार्यकर्ताओं को एक साझा मंच पर लाया। यह तालमेल चुनावों में जमीनी स्तर पर निर्णायक साबित हुआ।

 

चंद्रशेखर बावनकुलेः जीत का केंद्र बिंदु

 

ओबीसी नेता होने के साथ-साथ चंद्रशेखर बावनकुले ने अपनी व्यक्तिगत मेहनत और समर्पण से महाराष्ट्र में बीजेपी को नई पहचान दी। उनकी रणनीति, संगठन क्षमता, और जमीनी जुड़ाव ने पार्टी को हर वर्ग की समर्थन दिलाया। बावनकुले की यह भूमिका उन्हें महाराष्ट्र बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा बनाती है।

आगे की राह: 2029 की तैयारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व, गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति, और चंद्रशेखर बावनकुले जैसे नेताओं की मेहनत ने महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत को ऐतिहासिक बना दिया। यह सफलता 2029 के लोकसभा चुनावों में भी पार्टी की संभावनाओं को और मज़बूती देगी।

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