अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ के ऐलान ने पिछले कुछ दिनों से वैश्विक बाजारों में हलचल मचा रखी थी। हर देश अपनी रणनीति बनाने में जुटा था, लेकिन बुधवार, 9 अप्रैल 2025 को ट्रंप ने एक नई घोषणा कर दुनिया को चौंका दिया। इस बार उन्होंने चीन को छोड़कर 75 से ज्यादा देशों को बड़ी राहत दी, जिसमें भारत भी शामिल है। साथ ही, चीन पर टैरिफ का हथौड़ा चलाते हुए आयात शुल्क को तत्काल प्रभाव से 125% तक बढ़ा दिया। यह कदम वैश्विक व्यापार को अमेरिका बनाम चीन की जंग में बदलता दिख रहा है।
ट्रंप ने 90 दिनों के लिए भारत सहित 75 देशों को टैरिफ में छूट दी है। अब भारत पर पहले तय 26% टैरिफ लागू नहीं होगा, बल्कि केवल 10% का बेसलाइन रेसिप्रोकल टैरिफ ही प्रभावी रहेगा। यह भारत की कूटनीतिक चतुराई का नतीजा है, जिसने ट्रंप के सख्त रुख को नरम करने में सफलता हासिल की। दूसरी ओर, चीन और अमेरिका के बीच टैरिफ की जंग तेज हो गई है। इसकी शुरुआत 2 अप्रैल को हुई, जब अमेरिका ने चीन पर 34% टैरिफ लगाया। जवाब में चीन ने भी 34% टैरिफ अमेरिकी सामानों पर ठोक दिया। इससे भड़के ट्रंप ने 9 अप्रैल की डेडलाइन दी कि चीन अपना जवाबी टैरिफ हटाए, लेकिन चीन नहीं माना। नतीजा? अमेरिका ने 50% टैरिफ और लगा दिया। चीन भी पीछे नहीं हटा और उसने भी 50% अतिरिक्त टैरिफ अमेरिका पर जड़ दिया। अब ट्रंप ने अपने ताजा कदम में चीन पर टैरिफ को 104% से बढ़ाकर 125% कर दिया।
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ पर लिखा, “चीन ने विश्व बाजारों के प्रति सम्मान नहीं दिखाया, इसलिए मैं अमेरिका द्वारा चीन पर लगाए गए टैरिफ को 125% कर रहा हूँ, जो तुरंत लागू होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि उम्मीद है कि चीन जल्द समझेगा कि अमेरिका और अन्य देशों को ठगना अब संभव नहीं। वहीं, भारत ने इस संकट में सूझबूझ दिखाई। जहां पहले ट्रंप बार-बार भारत का नाम लेकर टैरिफ की धमकी दे रहे थे, वहीं अब 90 दिनों की राहत देकर उन्होंने नरम रुख अपनाया है। यह भारत की कूटनीति की बड़ी जीत मानी जा रही है।
यह जंग अब सिर्फ अमेरिका और चीन तक सिमटती दिख रही है। एक तरफ चीन जवाबी कार्रवाई में लगा है, तो दूसरी तरफ भारत जैसे देश शांतिपूर्ण रास्ते से अपनी स्थिति मजबूत कर रहे हैं। ट्रंप का यह फैसला वैश्विक व्यापार के लिए एक नया मोड़ लेकर आया है, जिसमें भारत ने अपनी चाल से बाजी मारी है। अगले 90 दिन भारत के लिए अहम होंगे, क्योंकि इस दौरान अमेरिका के साथ व्यापारिक रिश्तों को और मजबूत करने का मौका मिलेगा।