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छोटे आलम और उसके दोस्तों ने 80 साल की दलित अम्मा के साथ किया गैंगरेप, रमजान में जुम्मे के दिन भयावह वारदात से थर्रा उठा गोपालगंज

समाज में एक ऐसी घिनौनी सोच मौजूद है जो महिलाओं को महज मनोरंजन और अपनी हवस मिटाने का साधन समझती है। यह सोच न तो उम्र देखती है और न ही इंसानियत। कभी मासूम बच्चियों को अपनी हैवानियत का शिकार बनाती है तो कभी बुजुर्ग महिलाओं के साथ क्रूरता की हदें पार कर देती है। चाहे छोटी बच्चियां हों या जीवन के अंतिम पड़ाव पर खड़ी महिलाएं, इस सोच के लिए वे सिर्फ अपनी वासना पूरी करने का जरिया हैं। इसी बीमार मानसिकता का ताजा शिकार बनी हैं बिहार के गोपालगंज की 80 साल की एक बुजुर्ग महिला, जिसके साथ छोटे आलम और उसके साथियों ने सामूहिक बलात्कार की शर्मनाक वारदात को अंजाम दिया।

रमजान के पवित्र महीने में हैवानियत

यह दिल दहला देने वाली घटना गोपालगंज के बैकुंठपुर थाना क्षेत्र के एक गांव में हुई। रमजान का महीना चल रहा था, जिसे इस्लाम में इबादत और पवित्रता का समय माना जाता है। इसी दौरान जुम्मे के दिन छोटे आलम और उसके दोस्तों ने 80 साल की दलित बुजुर्ग महिला के साथ गैंगरेप किया। पीड़िता उस दिन खेत में घास काटने गई थी। इसी बीच छोटे आलम अपने दो साथियों के साथ वहां पहुंचा और इस जघन्य अपराध को अंजाम देने के बाद मारपीट कर फरार हो गया।

बेहोश हालत में मिली पीड़िता

जब बुजुर्ग महिला घर नहीं लौटी, तो परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की। होली के दिन पीड़िता की बहू उसे अबीर लगाने के लिए ढूंढ रही थी। काफी देर बाद गांव की कुछ महिलाओं ने बताया कि वह गेहूं के खेत में बेहोश पड़ी है। परिजन मौके पर पहुंचे तो देखा कि बुजुर्ग महिला बेसुध हालत में पड़ी थी। स्थानीय लोगों की मदद से उसे घर लाया गया और डॉक्टर ने उसका इलाज किया। करीब 19 घंटे बाद, 15 मार्च को दोपहर में महिला को होश आया। इसके बाद उसने अपनी आपबीती सुनाई।

पीड़िता की आपबीती: क्रूरता की हद

पीड़िता ने बताया, “मैं गेहूं के खेत में घास काट रही थी। तभी छोटे आलम ने पीछे से मुझे पकड़ लिया। मैंने खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन उसने मेरा मुंह दबा दिया और मेरे साथ दुष्कर्म किया। उसके साथ दो लोग और थे। विरोध करने पर मेरे साथ मारपीट की गई, जिससे मेरे शरीर पर कई जख्म हो गए। उसने मेरी आंखें फोड़ने की कोशिश भी की। जब मैं बेहोश हो गई, तो मुझे मरा समझकर वे फरार हो गए।”

समाज के लिए सवाल

यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि उस सोच का नमूना है जो महिलाओं को इंसान नहीं, बल्कि वस्तु समझती है। आखिर कब तक ऐसी हैवानियत जारी रहेगी? यह समाज और प्रशासन के लिए गंभीर सवाल खड़ा करती है। इस मामले में पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, लेकिन जरूरत है उस मानसिकता को बदलने की, जो ऐसी क्रूरता को जन्म देती है। पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।

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