पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हाल ही में हुई हिंसा ने एक बार फिर इस्लामी कट्टरपंथ की क्रूरता और हिंदू समाज के प्रति राज्य सरकार की उदासीनता को उजागर कर दिया है। 11 अप्रैल 2025 को वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध की आड़ में मुस्लिम भीड़ ने सुनियोजित तरीके से हिंदू समुदाय पर हमला किया, जिसमें घरों को जलाया गया, महिलाओं को बलात्कार की धमकियाँ दी गईं, और सैकड़ों हिंदू परिवारों को पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा।
पाञ्चजन्य की रिपोर्ट में एक पीड़ित महिला, ममता घोष, ने बताया कि कैसे उन्हें जबरन इस्लाम अपनाने के लिए धमकाया गया और बलात्कार की धमकी दी गई। उन्होंने कहा, “उन्होंने मुझसे कहा कि वे मुझे जबरन मुसलमान बना देंगे। उन्होंने मेरा बलात्कार करने और मेरा सिंदूर मिटाने की धमकी दी।” यह बयान इस बात का प्रमाण है कि इस हिंसा का उद्देश्य केवल संपत्ति का नुकसान नहीं, बल्कि हिंदू पहचान को मिटाना था।
मुर्शिदाबाद में हिंदुओं के घर, दुकानें और मंदिर निशाना बने। आगजनी, तोड़फोड़ और लूटपाट ने हिंदू समाज को पलायन के लिए मजबूर किया। लगभग 500 हिंदू परिवार भागीरथी नदी पार कर मालदा में शरण लेने को विवश हुए, कई झारखंड भाग गए। यह सिर्फ हिंसा नहीं, बल्कि सुनियोजित इस्लामिक कट्टरपंथ का नंगा नाच है, जिसे ममता बनर्जी की सरकार मूकदर्शक बनकर देख रही है। बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने खुलासा किया कि मस्जिदों से लाउडस्पीकर के जरिए हिंसा भड़काने के निर्देश दिए गए।
खुफिया सूत्रों के अनुसार, बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठन जैसे जमात-उल-मुजाहिदीन और अंसारुल्लाह बांग्ला टीम इस हिंसा के पीछे हैं, जिन्हें स्थानीय नेताओं का समर्थन प्राप्त था। यह साजिश बंगाल को बांग्लादेश बनाने की है, जहां हिंदू होना अपराध बन गया है। ममता की तुष्टिकरण नीति ने कट्टरपंथियों को खुली छूट दी, जिसके चलते हिंदू माताएं-बहनें असुरक्षित हैं। बीजेपी नेता तरुण चुघ ने ममता को “आधुनिक जिन्ना” करार देते हुए उनकी चुप्पी पर सवाल उठाया।
ममता बनर्जी ने वक्फ कानून लागू न करने का ऐलान कर कट्टरपंथियों को और उकसाया, जबकि हिंदुओं की चीखें अनसुनी रहीं। हिंसा के दौरान हिंदू घरों को पहले से चिन्हित किया गया था, जिन्हें बाद में आग के हवाले कर दिया गया। मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर जहां देशभर में जबरदस्त आक्रोश है, वहीं ममता बनर्जी ने इसे बीजेपी की साजिश बताया है।