जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) विधानसभा चुनाव के परिणाम आ चुके हैं. नेशनल कांफ्रेंस (NC) और कांग्रेस (Congress) गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) को राज्य में वोट तो सबसे ज्यादा 25%+ मिले हैं लेकिन सीटें 29 ही मिली हैं. भाजपा (BJP) जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में प्रमुख विपक्षी पार्टी बनी है. महबूबा मुफ्ती की PDP का बुरा हाल हुआ है, जिसे मात्र 3 सीटें मिली हैं. धारा 370 हटने के बाद राज्य में ये पहला चुनाव था जो बिना किसी हिंसा के संपन्न हुआ.
इस बीच राज्य की दो प्रमुख युवा और महिला नेताओं की चर्चा हो रही है. एक हैं महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती (Iltija Mufti) और दूसरी हैं भाजपा नेता शगुन परिहार (Shagun Parihar). इल्तिजा मुफ़्ती (Iltija Mufti) बिजबेहरा सीट से चुनाव मैदान में थीं और शगुन परिहार किश्तवाड़ (Shagun Parihar Kishtwar) सीट से भाजपा (Shagun Parihar BJP) प्रत्याशी थीं. PDP की इल्तिजा मुफ्ती चुनाव हार गई हैं जबकि भाजपा की शगुन परिहार (Shagun Parihar Kishtwar) चुनाव जीत गई हैं. शगुन परिहार PDP की उस अलगाववादी विचारधारा का समर्थन कर रही थीं, जिसमें उनकी अम्मी महबूबा ने कहा था कि अगर जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई गई तो राज्य में कोई तिरंगे को कंधा देने वाला नहीं मिलेगा
दूसरी तरफ शगुन परिहार थीं जो जम्मू कश्मीर में एक विधान, एक निशान और एक प्रधान की परिचायक थीं. एक तरफ इल्तिजा मुफ्ती थीं जो महबूबा मुफ्ती की बेटी थीं तो दूसरी तरफ शगुन परिहार थीं, जिनके पिता और चाचा को इस्लामिक आतंकियों ने मार दिया था. एकतरफ इल्तिजा मुफ्ती थीं जो 370 की समर्थक थीं तो दूसरी तरफ शगुन परिहार थीं जो भारतमाता की जय की हुंकार भरते हुए कह रही थीं कि कश्मीर भारतमाता का मणिमुकुट है, कश्मीर भारत देश का स्वाभिमान है और यहां कश्मीर को देश से अलग करने वाली कोई धारा नहीं चलेगी
सत्ता में रहने के बाद भी महबूबा मुफ्ती, PDP और इल्तिजा मुफ्ती अप्रत्यक्ष रूप से अलगाववाद को बढ़ावा देने वाली राजनीति करती रहीं तो दूसरी तरफ भारतमाता की बेटी शगुन परिहार ने अपने पिता को खोया, अपने चाचा को खोया लेकिन उन्होंने इसके बाद भी धैर्य नहीं खोया. उन्होंने तिरंगे को थामे रखा, उन्होंने कश्मीर के लिए संघर्ष जारी रखा, पिता और चाचा के खोने के गम को खुद पर हावी नहीं होने दिया.
8 अक्टूबर को जब परिणाम सामने आया तो इल्तिजा मुफ्ती चुनाव हार चुकी हैं और शगुन परिहार चुनाव जीतकर विधायक बन चुकी हैं. इल्तिजा मुफ्ती की हार अलगाववाद की हार है और शगुन परिहार की जीत भारतमाता की जीत है, भारतमाता की वीरांगना बेटी की जीत है, राष्ट्रवाद की जीत है, महर्षि कश्यप की भूमि कश्मीर की जीत है. स्वास्तिक सहारा परिवार शगुन परिहार को विधायक बनने की हार्दिक बधाई देता है.