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‘बोलो जुबां केसरी, दाने-दाने में केसर का दम’ एड पर बुरे फंसे शाहरुख, टाइगर और अजय देवगन को कंज्यूमर फोरम ने भेजा नोटिस

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स्वास्तिक सहारा वेब डेस्क
विज्ञापन में दावा किया जाता है कि “दाने-दाने में केसर का दम”, जबकि शिकायतकर्ता का कहना है कि 5 रुपये के पाउच में वास्तविक केसर डालना तो दूर, उसकी खुशबू भी संभव नहीं है।

जयपुर उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग (स्टेट कंज्यूमर फोरम) ने विमल पान मसाला विज्ञापन मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए कंपनी सहित बॉलीवुड कलाकारों शाहरुख खान, अजय देवगन और टाइगर श्रॉफ को नोटिस जारी किया है। यह कार्रवाई विज्ञापन में किए गए भ्रामक दावों को लेकर की गई है। उपभोक्ता आयोग ने कहा है कि इस प्रकार के विज्ञापन उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाले हैं और यह कानून का उल्लंघन है।

मामला विमल पान मसाला ब्रांड के उस विज्ञापन से जुड़ा है जिसमें टैगलाइन “दाने-दाने में केसर का दम” का उपयोग किया गया है। शिकायतकर्ता ने इस दावे पर आपत्ति जताई और तर्क दिया कि जब केसर का बाजार भाव पांच लाख रुपये प्रति किलो से भी अधिक है, ऐसे में पांच रुपये के पाउच में हर दाने में असली केसर होना संभव ही नहीं है।

उपभोक्ता मंच ने कंपनी और विज्ञापन में शामिल कलाकारों से जवाब-तलब किया है। मामले में याचिकाकर्ता जयपुर निवासी योगेंद्र सिंह बडियाल ने आरोप लगाया कि कंपनी झूठे दावे कर देशभर के उपभोक्ताओं को भ्रमित कर रही है। उनका कहना है कि “केसर डालना तो दूर, उसकी खुशबू भी पांच रुपये वाले पाउच में संभव नहीं है।”

उल्लेखनीय है कि इससे पहले 12 अगस्त को जिला उपभोक्ता आयोग ने इस अर्जी को खारिज कर दिया था। इसके बाद अपील राज्य आयोग तक पहुंची। अब आयोग ने एक बार फिर इस पर गंभीर रुख अपनाते हुए कंपनी और ब्रांड एंबेसडर कलाकारों को नोटिस जारी किया है।

नोटिस के अनुसार, आयोग ने सभी संबंधित पक्षों को सुनवाई के दौरान 19 मार्च को पेश होने का निर्देश दिया था। आयोग का मत है कि विज्ञापन में झूठे दावे न सिर्फ उपभोक्ताओं को भ्रमित करते हैं बल्कि यह उपभोक्ता अधिकार संरक्षण अधिनियम के भी खिलाफ है।

याचिका में यह भी मांग की गई है कि इस तरह के भ्रामक विज्ञापन करने वाले कलाकारों से राष्ट्रीय पुरस्कार वापस लिए जाने चाहिए, क्योंकि इस प्रकार की गतिविधियां समाज पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। साथ ही, पान मसाले के उत्पादन और बिक्री पर रोक लगाने तथा कंपनी पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाने की मांग की गई है।

ज्ञात हो कि पिछले कुछ वर्षों से बॉलीवुड कलाकार पान मसाला और गुटखा ब्रांड्स का प्रचार कर रहे हैं, जिस पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। उपभोक्ताओं और सामाजिक संगठनों की ओर से ऐसी विज्ञापन गतिविधियों को अनुचित बताते हुए आलोचना की जाती रही है।

उपभोक्ता फोरम का यह कदम विज्ञापन जगत और फिल्मी हस्तियों की जिम्मेदारी को लेकर एक बार फिर बहस का विषय बन गया है। विज्ञापन चयन के दौरान कलाकारों की नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। आयोग का यह भी मत है कि जब कोई उत्पाद जनहित को प्रभावित करता है, तो उसका प्रचार करने वाले व्यक्तियों को भी जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

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