देशभर के प्राचीन मंदिरों को मुगलिया अतिक्रमण के चंगुल से आजाद कराने के लिए संघर्षरत हिंदू राष्ट्रवादी संगठन विश्व वैदिक सनातन संघ ने अब एक और साहसिक कदम उठाया है, जो जिहादी आतंक की जड़ों पर प्रहार करने वाला है। संगठन के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह विसेन ने इस्लामिक आतंकियों अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की कब्रों को तत्काल हटाने की मांग उठाई है। इस मांग को लेकर विसेन ने भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को कड़े शब्दों में पत्र लिखकर अपनी बात रखी है। यह कदम न केवल आतंकवाद के खिलाफ एक सख्त संदेश है, बल्कि भारत की पवित्र भूमि को जिहादी मानसिकता के दाग से मुक्त करने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल भी है।
विश्व वैदिक सनातन संघ की ओर से लिखे गए इस पत्र में जितेंद्र सिंह विसेन ने बेहद तीखे शब्दों में कहा है कि जिहादी सोच से सने आतंकी मोहम्मद मकबूल भट्ट और मोहम्मद अफजल गुरु ने अपने घिनौने आतंकी कृत्यों से भारत की पवित्र धरती को खून से लथपथ करने की नापाक कोशिश की थी। इनके काले कारनामों की सजा के तौर पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर दोनों को दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी के फंदे पर लटकाया गया था। लेकिन हैरानी और शर्मिंदगी की बात यह है कि इन आतंकियों की कब्रें तिहाड़ जेल परिसर में ही बना दी गईं, जो न सिर्फ असंवैधानिक है, बल्कि देश की कानून व्यवस्था पर एक गहरा धब्बा भी है। विसेन ने इसे भारत की संप्रभुता और सम्मान पर सीधा हमला करार दिया है।
पत्र में विसेन ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा कि ये कब्रें जिहादी मानसिकता से ग्रसित समाज के लिए किसी तीर्थस्थल से कम नहीं बन गई हैं। ये आतंकी, जो देश के दुश्मन थे, अब जिहादी समाज के लिए हीरो और धर्मगुरु बन चुके हैं। इनकी कब्रों पर सजदा करने और माथा टेकने के लिए जिहादी सोच वाले लोग जानबूझकर अपराध करते हैं ताकि तिहाड़ जेल में पहुंच सकें। यह एक सुनियोजित साजिश है, जिसके तहत जिहादी समाज न सिर्फ देश की कानून व्यवस्था का मखौल उड़ा रहा है, बल्कि तिहाड़ जेल को आतंकियों की मजार और दरगाह में तब्दील करने की कोशिश कर रहा है। यह स्थिति न केवल चिंताजनक है, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए एक खुला खतरा भी बन चुकी है।
विसेन ने अपनी मांग को और आक्रामक बनाते हुए कहा कि इन आतंकियों की कब्रों को भारत की पवित्र भूमि से तत्काल हटाया जाए और उन्हें अटलांटिक महासागर की गहराइयों में या अमेजन के घने जंगलों में किसी गुप्त जगह पर फेंक दिया जाए। उनका तर्क है कि ऐसा करने से जिहादी मानसिकता की इस गंदी परंपरा पर करारा प्रहार होगा और भारत की पवित्र धरती इन आतंकियों के दाग से मुक्त होगी। उन्होंने सरकार से सख्त लहजे में अपील की कि इस गंभीर मसले पर तुरंत कार्रवाई की जाए, ताकि जिहादी सोच को बढ़ावा देने वाली इस प्रथा को जड़ से उखाड़ फेंका जाए।
यह मांग न केवल हिंदू संगठनों के लिए, बल्कि हर देशभक्त नागरिक के लिए एक ज्वलंत मुद्दा है। विश्व वैदिक सनातन संघ का यह कदम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा संकेत है। अब देखना यह है कि सरकार इस मांग पर क्या रुख अपनाती है और क्या इन आतंकियों की कब्रों को हटाकर जिहादी मानसिकता पर लगाम लगाने का साहस दिखाती है।