CM योगी आदित्यनाथ की उत्तर प्रदेश पुलिस ने ‘ऑपरेशन अस्मिता’ के तहत एक अंतरराज्यीय धर्मांतरण गिरोह का पर्दाफाश किया है। यह नेटवर्क लव जिहाद, कट्टरपंथ और अंतरराष्ट्रीय फंडिंग के जरिए देश की आंतरिक सुरक्षा को खोखला कर रहा था। इस रैकेट ने न केवल हिंदू लड़कियों को प्रेमजाल में फंसाकर धर्मांतरण करवाया, बल्कि कट्टरता फैलाने, विदेशी फंडिंग हासिल करने और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रची।
छह राज्यों—उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, गोवा, उत्तराखंड और दिल्ली—से 10 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। यह नेटवर्क बलरामपुर के कुख्यात छांगुर पीर गिरोह से भी अधिक खतरनाक माना जा रहा है। जांच में सामने आया कि इस गिरोह के तार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI), सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) और पाकिस्तान के आतंकी संगठनों से जुड़े हैं, जिन्हें कनाडा, अमेरिका, लंदन और दुबई से भारी मात्रा में फंडिंग प्राप्त हो रही थी।
आगरा की लापता बहनों ने खोली साजिश की पोल
‘ऑपरेशन अस्मिता’ की शुरुआत मार्च 2025 में आगरा के सदर बाजार थाने में दर्ज एक गुमशुदगी के मामले से हुई। दो सगी बहनें, जिनकी उम्र 33 और 18 वर्ष थी, अचानक लापता हो गई थीं। शुरुआत में यह मामला सामान्य गुमशुदगी का लग रहा था, लेकिन पुलिस की गहन जांच ने इसे अपहरण और अवैध धर्मांतरण की साजिश से जोड़ दिया। दोनों बहनें अपने फोन साथ नहीं ले गई थीं और सोशल मीडिया पर अपने असली नामों से सक्रिय नहीं थीं, जिसके कारण उनकी तलाश में काफी चुनौतियां आईं। आगरा पुलिस आयुक्त दीपक कुमार के निर्देश पर अपर पुलिस उपायुक्त (एडीसीपी) ने इस ऑपरेशन की कमान संभाली। साइबर सेल की जांच में एक महत्वपूर्ण सुराग मिला—’कनेक्टिंग रिवर्ट’ नामक एक इंस्टाग्राम आईडी, जिसका लोकेशन कोलकाता से जुड़ा था।
पुलिस की एक महिला दारोगा ने फर्जी नाम से इस आईडी पर संपर्क किया और धर्मांतरण के लिए इच्छा जताई। जवाब में एक महिला, जिसे बाद में आयशा (उर्फ एस.बी. कृष्णा) के रूप में पहचाना गया, ने बातचीत शुरू की। इस सुराग ने न केवल लापता बहनों का पता लगाने में मदद की, बल्कि एक बड़े धर्मांतरण नेटवर्क को उजागर किया। जांच में पता चला कि इस गिरोह ने लव जिहाद, मनोवैज्ञानिक हेरफेर और कट्टरता फैलाने की रणनीतियां अपनाई थीं, जो आतंकी संगठन ISIS की कार्यप्रणाली से मिलती-जुलती थीं।
छह राज्यों में एक साथ छापेमारी
लापता बहनों को कोलकाता में एक घर में उनके परिवार की मौजूदगी में बरामद किया गया। इस सफलता के बाद, उत्तर प्रदेश पुलिस ने ‘ऑपरेशन अस्मिता’ के तहत छह राज्यों में एक साथ छापेमारी की। आगरा पुलिस ने 11 टीमें गठित कीं, जिनमें 50 से अधिक पुलिसकर्मी शामिल थे। ये टीमें उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, गोवा, उत्तराखंड और दिल्ली में तैनात की गईं। कोलकाता में चार टीमें एक एसीपी के नेतृत्व में भेजी गईं, जबकि गोवा के लिए पुलिसकर्मी हवाई मार्ग से गए। चार दिनों की अथक मेहनत के बाद, पुलिस ने 10 अपराधियों को गिरफ्तार किया, जिनमें एक महिला भी शामिल थी। गिरफ्तार आरोपियों में आयशा (उर्फ एस.बी. कृष्णा, गोवा), अली हसन (उर्फ शेखर रॉय, कोलकाता), ओसामा (कोलकाता), रहमान कुरैशी (आगरा), अबू तालिब (मुजफ्फरनगर), अबुर रहमान (देहरादून), मुस्तफा (उर्फ मनोज, दिल्ली), और जयपुर से मोहम्मद अली और जुनैद कुरैशी शामिल हैं।
गिरोह की कार्यप्रणाली: ISIS जैसी रणनीति
उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कृष्णा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह नेटवर्क अत्यंत संगठित और खतरनाक था। गिरोह के सदस्यों के बीच कार्यों का स्पष्ट बंटवारा था। कुछ सदस्य हिंदू लड़कियों को फर्जी हिंदू नामों (जैसे अमित, रुद्र शर्मा) के साथ प्रेमजाल में फंसाते थे। इसके बाद, उन्हें दरगाहों या अन्य स्थानों पर ले जाकर ब्रेनवॉश किया जाता और धर्मांतरण करवाया जाता। धर्म परिवर्तन के बाद, इन लड़कियों का निकाह करवाया जाता था।
गिरोह के अन्य सदस्य विदेशी फंडिंग को इकट्ठा करने और उसे चैनलाइज करने का काम करते थे। कुछ लोग सुरक्षित ठिकाने (सेफ हाउस) उपलब्ध कराते थे, जहां पीड़ितों को छिपाया जाता था। कानूनी सलाह, नए फोन और सिम कार्ड का इंतजाम भी इस नेटवर्क का हिस्सा था। जांच में पाया गया कि एक पीड़ित बहन ने अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल पर एक लड़की की तस्वीर लगाई थी, जिसमें वह AK-47 राइफल लिए हुए थी, जो कट्टरता की गंभीरता को दर्शाता है।
विदेशी फंडिंग और आतंकी कनेक्शन
जांच में सामने आया कि इस नेटवर्क को कनाडा, अमेरिका, लंदन और दुबई से भारी मात्रा में फंडिंग प्राप्त हो रही थी। डीजीपी राजीव कृष्णा ने बताया कि यह धन डार्क वेब के माध्यम से चैनलाइज किया जाता था। इस नेटवर्क के तार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI), सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) और पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से जुड़े हैं। यह गिरोह ‘लव जिहाद’ और कट्टरता के जरिए सामाजिक समरसता को नष्ट करने और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने की साजिश रच रहा था।
पुलिस ने इस नेटवर्क को बलरामपुर के छांगुर पीर उर्फ जलालुद्दीन के गिरोह से भी अधिक खतरनाक बताया, क्योंकि इसकी पहुंच पूरे भारत में थी। इससे पहले, यूपी एटीएस ने छांगुर पीर, मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती जहांगीर आलम कासमी को अवैध धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार किया था। छांगुर के गिरोह ने ₹100 करोड़ से अधिक की विदेशी फंडिंग हासिल की थी, और यह नया नेटवर्क उससे भी बड़ा माना जा रहा है।
यूपी सरकार का सख्त रुख
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले को ‘राष्ट्र विरोधी’ करार देते हुए कहा, “ऐसे तत्व जो हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक एकता को नष्ट करने की साजिश रच रहे हैं, उनके खिलाफ कोई नरमी नहीं बरती जाएगी। उनकी संपत्तियां जब्त की जाएंगी, और कानून अपना काम करेगा।” ‘ऑपरेशन अस्मिता’ यूपी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का हिस्सा है, जिसके तहत अवैध धर्मांतरण, लव जिहाद और कट्टरता फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।
आगरा कोर्ट ने सभी 10 आरोपियों को 10 दिनों की पुलिस हिरासत में भेजा है, ताकि गहन पूछताछ की जा सके। यूपी पुलिस की विशेष टास्क फोर्स (STF) और एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) इस जांच में सक्रिय रूप से शामिल हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है और विदेशी फंडिंग की जांच कर रहा है।
सामाजिक और राष्ट्रीय खतरा
यह नेटवर्क केवल धर्मांतरण तक सीमित नहीं था। यह सामाजिक समरसता को तोड़ने, हिंदू आस्था को नष्ट करने और देश की आंतरिक सुरक्षा को कमजोर करने की साजिश का हिस्सा था। विदेशी फंडिंग, आतंकी संगठनों से संबंध और डार्क वेब के माध्यम से धन का लेन-देन इस नेटवर्क की गंभीरता को दर्शाता है। पुलिस का मानना है कि इस गिरोह ने हजारों लोगों को निशाना बनाया, जिनमें ज्यादातर आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग थे। पुलिस कमिश्नर का कहना है कि सभी गिरफ्तार आरोपियों पर UAPA, आईटी एक्ट, धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, और देशद्रोह जैसी गंभीर धाराएं लगाई गई हैं। बैंक खातों की जांच चल रही है। विदेशी नेटवर्क के खिलाफ एनआईए और ईडी भी कार्रवाई करेंगे।
‘ऑपरेशन अस्मिता’ उत्तर प्रदेश पुलिस की एक ऐतिहासिक कार्रवाई है, जिसने एक खतरनाक और संगठित धर्मांतरण नेटवर्क को उजागर किया है। यह गिरोह न केवल लव जिहाद और कट्टरता के जरिए समाज को तोड़ रहा था, बल्कि विदेशी फंडिंग और आतंकी संगठनों के साथ मिलकर राष्ट्रीय सुरक्षा को चुनौती दे रहा था। यूपी सरकार और पुलिस की सख्त कार्रवाई ने इस साजिश को बेनकाब कर दिया है, और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि दोषियों को कठोर सजा मिले। यह कार्रवाई देश के लिए एक मिसाल है कि अवैध गतिविधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति ही एकमात्र रास्ता है।